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    प्राचार्य

    “सफलता उन्हें मिलती है जो कड़ी मेहनत करते हैं और उनके साथ रहती है, जो अतीत की उपलब्धियों पर आराम नहीं करते।” हम आज एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो उस दुनिया से बहुत अलग है जिसमें हम बड़े हुए हैं, जिसमें हमने शिक्षा प्राप्त की है। दुनिया आज इतनी तेजी से बदल रही है और हमें शिक्षकों के रूप में इस पूरी प्रणाली पर रुककर विचार करने की जरूरत है। क्या हमारे स्कूल ,हमारे बच्चों को भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने में सक्षम हैं? इस तरह के प्रश्न ऐसे कारक हैं जो हमें निरंतर चिंतन की प्रक्रिया से गुजरने के लिए प्रेरित करते हैं और इसलिए हम केंद्रीय विद्यालय बंगाणा में एक संतुलित पाठ्यक्रम लागू करने पर काम करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे स्कूलों में आने वाले बच्चे ना सिर्फ उनके स्कूल के वर्षों को याद करेंगे ,लेकिन वास्तव में जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें।

    यह मार्गरेट मीड ही थीं जिन्होंने कहा था, “बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि कैसे सोचना है, न कि क्या सोचना है” और इसे सक्षम करने के लिए, ज्ञान, कल्पना और नवाचार के हमारे आदर्श वाक्य को समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है। “कमजोरों को प्रेरित करना, औसत को संबोधित करना और प्रतिभाशाली को चुनौती देना” हमारे स्कूल की शिक्षण दृष्टि है। अरस्तू ने एक बार कहा था कि, “हृदय को शिक्षित किए बिना मस्तिष्क को शिक्षित करना बिल्कुल भी शिक्षा नहीं है।” भले ही हम प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण में प्रगति के अनुरूप शिक्षा प्रदान करते हैं, हम अपने बच्चों को केवीएस के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के लोकाचार के साथ आगे बढ़ाते हैं। हम अपने बच्चों में ये गुण विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं। हमें उन्हें अगली पीढ़ी के संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करने पर गर्व है।